आदिकाव्य रामायण


भारतीय जन-मानस में मर्यादापुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित राम की कथा का सर्वप्रथम विवरण रामायण में मिलता हैं। यह काव्य का आदिरूप हैं जिसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। महर्षि वाल्मीकि जी को इस कारण आदिकवि कहा गया है।
रामायण सात काण्डों में विभक्त है। सात काण्ड इस प्रकार हैं-बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकाण्ड, युद्धकाण्ड तथा उत्तरकाण्ड। ये प्रत्येक काण्ड सर्गो में विभक्त हैं। सर्गो में रमणीय संस्कृत पद्य हैं। आदिकाव्य रामायण में कुल चौबीस हज़ार पद्य या श्लोक हैं। इसीलिए इसे "चतुर्विंशति साहस्री संहिता" कहते हैं।  
रामचरित का वर्णन होने से यह धर्मग्रन्थ और आचरण का मार्गदर्शक ग्रन्थ माना गया गया हैं। परवर्ती कवियों,नाटककारों तथा गद्य-लेखकों ने रामायण की कथा का अनुहरण अपने ग्रंथो में तथा इसकी शैली का अनुसरण किया हैं। रामकथा का विभिन्न भाषाओ, प्रदेशों तथा विदेशों में भी रूपान्तरण करके रामायण ग्रन्थ लिखे गए है, उन सब का उपजीव्य यहीं हैं।
महर्षि वाल्मीकि

संस्करण:-
1. बम्बई संस्करण ( देवनागरी संस्करण )- इसका प्रकाशन 1902 ई. में के.पी. परव के सम्पादन में निर्णयसागर प्रेस, बम्बई में हुआ था।

2. बंगाल संस्करण - इस संस्करण का प्रकाशन इटली के विद्वान जी. गोरेशियो ने 1843 ई. से 1867. तक कई खंडो में किया था।

3. कश्मीर संस्करण - यह संस्करण डी.ए.वी. कॉलेज, लाहोर के अनुसन्धान विभाग से 1923 ई. में प्रकाशित हुआ था।

4. दाक्षिणात्य संस्करण - यह संस्करण कुम्भकोणम (मद्रास) के मध्य विलास बुक डिपो में 1929 ई. से 1930 ई. में प्रकाशित हुआ था।

रामायण के सभी मुख्य अंशो को आधार बनाकर लिखे गये संस्कृत महाकाव्यों में कुछ मुख्य काव्य निम्न हैं-
  • रावणवध- कवि भट्ट द्वारा रचित।
  • रामचरित- कवि अभिनन्द द्वारा कृत।
  • रामायणामञ्जरी- रचियता कवि क्षेमेन्द्र।
  • राघवपाण्डवीय- रचनाकार माधवभट्ट।
  • जानकीहरण- रचनाकार कुमारदास।
  • रघुवंशम् (रघुवंशम् के कुछ सर्गो में रामकथा के प्रसङ्गो का विवरण {सर्ग 9-25} किया गया हैं)- महाकवि कालिदास द्वारा कृत।

0 Comments

Please do not enter any spam link in the comment box.